रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूलों द्वारा सीबीएसई (CBSE) मान्यता के नाम पर अभिभावकों से ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पांचवी और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं अनिवार्य किए जाने के बाद इस घोटाले का खुलासा हुआ।
हजारों प्राइवेट स्कूल सीजी बोर्ड (CG Board) के अंग्रेजी माध्यम से मान्यता प्राप्त हैं, लेकिन एडमिशन के समय पालकों को सीबीएसई बोर्ड का झांसा दिया जाता है। नर्सरी से आठवीं तक सीबीएसई पैटर्न की पढ़ाई करवाई जाती है, लेकिन परीक्षा के समय अचानक छात्रों को सीजी बोर्ड की परीक्षा देने के लिए मजबूर किया जाता है।
पालकों से मोटी फीस वसूलने का खेल
इन स्कूलों में दाखिले के समय भारी फीस और डोनेशन वसूला जाता है। पालक यह सोचकर बच्चों का एडमिशन करा देते हैं कि उनके बच्चे सीबीएसई स्कूल में पढ़ रहे हैं। लेकिन जब परीक्षा की बारी आती है, तब स्कूल प्रबंधन छात्रों को सीजी बोर्ड की परीक्षा देने के लिए दबाव बनाता है।
शिक्षा विभाग के आदेश से खुली पोल
सरकार ने जब पांचवी और आठवीं की बोर्ड परीक्षा अनिवार्य की, तब पालकों को सच्चाई का पता चला। सीबीएसई और सीजी बोर्ड की परीक्षा प्रणाली अलग-अलग होती है, जिससे छात्र मानसिक दबाव में आ जाते हैं।
आरंग में कृष्णा पब्लिक स्कूल का घोटाला उजागर
आरंग स्थित कृष्णा पब्लिक स्कूल में पालकों ने जमकर हंगामा किया। इस स्कूल में सीबीएसई मान्यता के नाम पर दाखिले लिए गए थे, लेकिन परीक्षा के समय छात्रों को सीजी बोर्ड से परीक्षा देने को मजबूर किया जा रहा था।
शिक्षा माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं
हालांकि, इस घोटाले को लेकर शिक्षा विभाग में कई शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, लेकिन अब तक किसी भी स्कूल प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। इससे साफ है कि शिक्षा माफिया संगठित रूप से छात्रों और अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं।
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
सीबीएसई पाठ्यक्रम से पढ़ाई करने वाले छात्रों को परीक्षा के समय सीजी बोर्ड में बैठने को मजबूर करने से उनकी सालभर की मेहनत बेकार हो सकती है। यह घोटाला न सिर्फ पालकों के साथ धोखा है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है।
सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि शिक्षा माफियाओं पर लगाम लगाई जा सके और अभिभावकों को न्याय मिल सके।