बिलासपुर। कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) ने फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) के तहत एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दीपका मेगाप्रोजेक्ट में 21 फरवरी 2025 को नए साइलो नंबर 3 और 4 से पहली कोयला रेक लोड कर रैपिड लोडिंग सिस्टम का सफलतापूर्वक संचालन शुरू किया गया।
कोयला डिस्पैच में बढ़ोतरी
नए एफएमसी साइलो के चालू होने से दीपका की कोयला निकासी क्षमता में बड़ा इजाफा हुआ है। पहले 15 मिलियन टन वार्षिक डिस्पैच क्षमता वाले मेरी-गो-राउंड (एमजीआर) सिस्टम पर निर्भर दीपका अब 40 मिलियन टन प्रति वर्ष की कुल डिस्पैच क्षमता हासिल कर चुका है। अकेले नए साइलो की सालाना कोयला निकासी क्षमता 25 मिलियन टन है।
एफएमसी परियोजनाओं में तेजी
एसईसीएल प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के तहत 233 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) क्षमता की 17 एफएमसी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इनमें से 151 एमटीपीए की 9 परियोजनाएँ पहले ही चालू हो चुकी हैं, जबकि शेष 82 एमटीपीए क्षमता वाली 8 परियोजनाएँ अगले 2-3 वर्षों में शुरू की जाएंगी।
पर्यावरण और परिचालन लाभ
फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी से कोयला परिवहन में आधुनिक तकनीक के उपयोग से कई फायदे होंगे:
सटीक मैकेनाइज्ड लोडिंग से रेक में कोयले की ओवरलोडिंग और अंडरलोडिंग में कमी –
कम समय में अधिक रेक लोड करने की सुविधा, जिससे रेलवे परिचालन में सुधार –
सड़क परिवहन की निर्भरता घटने से डीजल की बचत और वायु प्रदूषण में कमी –
कोयले की गुणवत्ता में सुधार –
सभी हितधारकों को होगा लाभ
नए एफएमसी साइलो का संचालन एसईसीएल, भारतीय रेलवे और कोयला उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। इससे लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने, कोयला आपूर्ति को दक्ष बनाने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।