Friday, November 22, 2024
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बिलासपुर जिला में एक विधानसभा सीट आदिवासी समाज के लिए आरक्षित करने की मांग को लेकर की प्रेसवार्ता

बिलासपुर। चुनाव नजदीक है हर कोई चुनाव में अपने समाज के लोगो को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलने की इच्छा रखता है।

बिलासपुर जिले में आदिवासी समाज की अच्छी खासी जनसंख्या है। अगर देखा जाय तो बिलासपुर जिले के अंतर्गत 06 विधानसभा आते है जिसमे कोटा विधानसभा में 1 लाख, तखतपुर 35 हजार, बिल्हा में 36 हजार,बेलतरा में 28 हजार, मस्तूरी में 32 हजार, बिलासपुर में 15 हजार की जनसंख्या आदिवासियों की है।

जिसे लेकर आज समाज प्रमुखों ने बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता करते हुए मीडिया के माध्यम से मांग करते हुए कहा है। कि बिलासपुर जिला के अंतर्गत कुल विधानसभा की संख्या 06 है। जिसमें एक विधानसभा (मस्तूरी) अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। वही 05 विधानसभा सामान्य सीट है। जिसमें से दो या तीन ओबीसी वर्ग को दिया जाता है या तो 3 सामान्य वर्ग के लोगो को दिया जाता है। यहाँ यह बात का उल्लेख करना उचित होगा कि जनजाति वर्ग को एक भी सीट नही दिया जाता है। जबकि बिलासपुर जिले में आदिवासियों की 20% जनसंख्या मतदाता है। इस आधार पर एक विधानसभा सीट जनजाति समाज को भी मिलना चाहिए ताकि जनजाति समाज को प्रतिनिधित्व मिल सकें।

बिलासपुर जिले में कोटा विधानसभा क्षेत्र में जनजाति बाहुल्य है जहाँ आदिवासियों की जनसंख्या 50% से अधिक है। जहां 1952 से आज तक जनजाति समाज को प्रतिनिधित्व नही दिया गया है। यही जनजाति समाज की मांग है। राष्ट्रीय पार्टियों से आग्रह है कि कोटा विधानसभा से जनजाति समाज के लोगो को इस बार प्रतिनिधित्व दिया जाए। जिससे आदिवासी समाज को उनके अधिकार एवं प्रतिनिधित्व मिल सके।

कोटा विधानसभा के अंतर्गत 3 जनपद पंचायत है जिसके ब्लॉक अध्यक्ष पांचवी अनुसूची से है। वही जिला पंचायत सदस्य 05 में से 4 जनजाति वर्ग से है जिसमे से जिला पंचायत उपाध्यक्ष है।

ग्राम पंचायत के संबंध में गौरेला ब्लॉक 32 पेंड्रा ब्लॉक 30 एवं कोटा में 103 ग्राम पंचायतों में से 93 सरपंच पांचवी अनुसूची से प्रतिनिधित्व कर रहे है। इस प्रकार कोटा विधानसभा का ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह से अनुसूचित जनजाति समाज के लोग प्रतिनिधित्व कर रहे है। किंतु दुर्भाग्य की बात है कि जनजाति बाहुल्य होते हुए भी यहाँ का प्रतिनिधित्व सामान्य वर्ग को दिया जाता है जबकि इनकी जनसंख्या एवं मतदाता न्यून है। साथ ही शहरी क्षेत्र के अधिकांश पार्षद भी जनजाति समाज अतः हम राष्ट्रीय पार्टी प्रमुखों से अपेक्षा करते हैं की जनजाति समाज को प्रतिनिधित्व देने का विचार करें।

 

इस दौरान समाज के सुरेंद्र प्रधान – आदिवासी समाज प्रमुख, सियाराम नेताम – गोड़ समाज प्रमुख, पी.एस. पट्टा – गोड़ समाज प्रमुख, संतोष टोप्पो – उरांव समाज प्रमुख, श्रीमती अभिलाषा पूर्ति – हो मुंडा समाज प्रमुख, डी. पी. ठाकुर – आदिवासी समाज प्रमुख,विक्रम साय – कंवर समाज प्रमुख ,डी. आर. सिदार – आदिवासी समाज प्रमुख. डी. पी. भूपाल – आदिवासी समाज प्रमुख, राजीव ध्रुव – आदिवासी समाज युवा नेता उपस्थित रहे।

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बिलासपुर। चुनाव नजदीक है हर कोई चुनाव में अपने समाज के लोगो को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलने की इच्छा रखता है। बिलासपुर जिले में आदिवासी समाज की अच्छी खासी जनसंख्या है। अगर देखा जाय तो बिलासपुर जिले के अंतर्गत 06 विधानसभा आते है जिसमे कोटा विधानसभा में 1 लाख, तखतपुर 35 हजार, बिल्हा में 36 हजार,बेलतरा में 28 हजार, मस्तूरी में 32 हजार, बिलासपुर में 15 हजार की जनसंख्या आदिवासियों की है। जिसे लेकर आज समाज प्रमुखों ने बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता करते हुए मीडिया के माध्यम से मांग करते हुए कहा है। कि बिलासपुर जिला के अंतर्गत कुल विधानसभा की संख्या 06 है। जिसमें एक विधानसभा (मस्तूरी) अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। वही 05 विधानसभा सामान्य सीट है। जिसमें से दो या तीन ओबीसी वर्ग को दिया जाता है या तो 3 सामान्य वर्ग के लोगो को दिया जाता है। यहाँ यह बात का उल्लेख करना उचित होगा कि जनजाति वर्ग को एक भी सीट नही दिया जाता है। जबकि बिलासपुर जिले में आदिवासियों की 20% जनसंख्या मतदाता है। इस आधार पर एक विधानसभा सीट जनजाति समाज को भी मिलना चाहिए ताकि जनजाति समाज को प्रतिनिधित्व मिल सकें। बिलासपुर जिले में कोटा विधानसभा क्षेत्र में जनजाति बाहुल्य है जहाँ आदिवासियों की जनसंख्या 50% से अधिक है। जहां 1952 से आज तक जनजाति समाज को प्रतिनिधित्व नही दिया गया है। यही जनजाति समाज की मांग है। राष्ट्रीय पार्टियों से आग्रह है कि कोटा विधानसभा से जनजाति समाज के लोगो को इस बार प्रतिनिधित्व दिया जाए। जिससे आदिवासी समाज को उनके अधिकार एवं प्रतिनिधित्व मिल सके। कोटा विधानसभा के अंतर्गत 3 जनपद पंचायत है जिसके ब्लॉक अध्यक्ष पांचवी अनुसूची से है। वही जिला पंचायत सदस्य 05 में से 4 जनजाति वर्ग से है जिसमे से जिला पंचायत उपाध्यक्ष है। ग्राम पंचायत के संबंध में गौरेला ब्लॉक 32 पेंड्रा ब्लॉक 30 एवं कोटा में 103 ग्राम पंचायतों में से 93 सरपंच पांचवी अनुसूची से प्रतिनिधित्व कर रहे है। इस प्रकार कोटा विधानसभा का ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह से अनुसूचित जनजाति समाज के लोग प्रतिनिधित्व कर रहे है। किंतु दुर्भाग्य की बात है कि जनजाति बाहुल्य होते हुए भी यहाँ का प्रतिनिधित्व सामान्य वर्ग को दिया जाता है जबकि इनकी जनसंख्या एवं मतदाता न्यून है। साथ ही शहरी क्षेत्र के अधिकांश पार्षद भी जनजाति समाज अतः हम राष्ट्रीय पार्टी प्रमुखों से अपेक्षा करते हैं की जनजाति समाज को प्रतिनिधित्व देने का विचार करें।   इस दौरान समाज के सुरेंद्र प्रधान – आदिवासी समाज प्रमुख, सियाराम नेताम – गोड़ समाज प्रमुख, पी.एस. पट्टा – गोड़ समाज प्रमुख, संतोष टोप्पो – उरांव समाज प्रमुख, श्रीमती अभिलाषा पूर्ति – हो मुंडा समाज प्रमुख, डी. पी. ठाकुर – आदिवासी समाज प्रमुख,विक्रम साय – कंवर समाज प्रमुख ,डी. आर. सिदार – आदिवासी समाज प्रमुख. डी. पी. भूपाल – आदिवासी समाज प्रमुख, राजीव ध्रुव – आदिवासी समाज युवा नेता उपस्थित रहे।