Monday, November 25, 2024
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दसवीं सदी की ऐतिहासिक मंदिर में करोड़ों का दुर्लभ भंवर गणेश मूर्ति चूरा ले गए चोर…

मस्तूरी। छत्तीसगढ़ बिलासपुर के मस्तूरी क्षेत्र में इटवा पाली स्थित ऐतिहासिक मंदिर से 10वीं 11वीं शताब्दी के दुर्लभ भंवर गणेश की 2 करोड की कीमत वाले काले ग्रेनाइट की मूर्ति करीब 3 फीट ऊंची व 65 किलो वजनी है जो आज पांचवें बार फिर चोरी हो गई। ग्रामीणों के बताएं अनुसार सुबह-सुबह जब आज मंदिर का दरवाजा खोलने गए तो देखा कि ताला टूटा हुआ है और गर्भ गृह से मुर्ती फिर से गायब है, इसकी सूचना ग्रामीणों ने तत्काल मस्तूरी पुलिस को दी है मौके पर मस्तूरी पुलिस की टीम पहुंची हुई है जो पूछताछ कर रही है।

इटवा पाली स्थित भंवर गणेश मंदिर की मुर्ती ग्रेनाइट की दुर्लभ मूर्ति है , जो मल्हार स्थित डिडनेश्वरी देवी की समकालीन है। सातवीं से दसवीं सदी के बीच के विकसित मल्हार की मूर्तिकलाओं में भंवर गणेश को भी प्रमुख माना जाता है।

मल्हार में बौद्ध स्मारकों व प्रतिमाओं का निर्माण इस काल की विशेषता माना जाता है। मल्हार व आसपास में कई प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिलते हैं और यह एक महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल है।

सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं

इसी मंदिर में चार बार पहले भी चोरी हो चुकी है। पहली बार 2004 में प्रतिमा की चोरी हुई लेकिन चोर जिले से बाहर जा नहीं पाए थे। इसके बाद अप्रैल 2006 को मूर्ति की चोरी हुई। 2007 में भी मंदिर से मूर्ति चोरी की कोशिश हुई थी। और 26अगस्त 2022 को चोरी हुई थी, लेकिन इसके सुरक्षा के लिए आज भी शासन प्रशासन की ओर से कहीं कोई कड़ी कदम नहीं उठाया गया है जिसके वजह से आए दिन यह मूर्ति चोरों के निशाने पर रहती है।

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मस्तूरी। छत्तीसगढ़ बिलासपुर के मस्तूरी क्षेत्र में इटवा पाली स्थित ऐतिहासिक मंदिर से 10वीं 11वीं शताब्दी के दुर्लभ भंवर गणेश की 2 करोड की कीमत वाले काले ग्रेनाइट की मूर्ति करीब 3 फीट ऊंची व 65 किलो वजनी है जो आज पांचवें बार फिर चोरी हो गई। ग्रामीणों के बताएं अनुसार सुबह-सुबह जब आज मंदिर का दरवाजा खोलने गए तो देखा कि ताला टूटा हुआ है और गर्भ गृह से मुर्ती फिर से गायब है, इसकी सूचना ग्रामीणों ने तत्काल मस्तूरी पुलिस को दी है मौके पर मस्तूरी पुलिस की टीम पहुंची हुई है जो पूछताछ कर रही है। इटवा पाली स्थित भंवर गणेश मंदिर की मुर्ती ग्रेनाइट की दुर्लभ मूर्ति है , जो मल्हार स्थित डिडनेश्वरी देवी की समकालीन है। सातवीं से दसवीं सदी के बीच के विकसित मल्हार की मूर्तिकलाओं में भंवर गणेश को भी प्रमुख माना जाता है। मल्हार में बौद्ध स्मारकों व प्रतिमाओं का निर्माण इस काल की विशेषता माना जाता है। मल्हार व आसपास में कई प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिलते हैं और यह एक महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल है। सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं इसी मंदिर में चार बार पहले भी चोरी हो चुकी है। पहली बार 2004 में प्रतिमा की चोरी हुई लेकिन चोर जिले से बाहर जा नहीं पाए थे। इसके बाद अप्रैल 2006 को मूर्ति की चोरी हुई। 2007 में भी मंदिर से मूर्ति चोरी की कोशिश हुई थी। और 26अगस्त 2022 को चोरी हुई थी, लेकिन इसके सुरक्षा के लिए आज भी शासन प्रशासन की ओर से कहीं कोई कड़ी कदम नहीं उठाया गया है जिसके वजह से आए दिन यह मूर्ति चोरों के निशाने पर रहती है।