सुकमा। छत्तीसगढ़ सुकमा जिले में जादू-टोने के शक में हेड कॉन्स्टेबल के पूरे परिवार को खत्म कर दिया गया। ग्रामीणों ने हेड-कॉन्स्टेबल समेत परिवार के 5 लोगों को लाठी-डंडे से बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। लोगों ने लाठी डंडा और धारदार हथियारों से भी हमला किया। जिसके बाद मौके पर उन लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।
जानकारी के मुताबिक, मामला कोंटा के मुरलीगुड़ा कैंप के पास इटकल गांव का है। बताया जा रहा है कि, इसी गांव के रहने वालों कुछ लोगों को पारिवारिक रूप से कुछ नुकसान हो रहा था। उन्हें शक था कि गांव का एक परिवार उनके ऊपर जादू-टोना कर रहा है।
घर में घुस कर दिया वारदात को अंजाम
घटना के पीछे प्रमुख कारण जादू-टोना का संदेह था। कुछ ग्रामीणों का मानना था कि परिवार किसी प्रकार के तांत्रिक कर्म कर रहा था, जिससे उन्हें व्यक्तिगत नुकसान हो रहा था। इसी बीच रविवार को गांव के 5 लोग उस परिवार के घर में घुस गए। इसके बाद 3 महिलाओं समेत कुल 5 लोगों पर लाठी-डंडे से हमला करने लगे। बेरहमी से पिटाई के कारण पांचों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। आसपास के लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद जवान मौके पर गांव पहुंचे और सभी आरोपियों को भी पुलिस ने मौके से ही पकड़ लिया। फिलहाल पुलिस अफसरों का कहना है कि, जांच के बाद ही पूरी जानकारी दी जाएगी।
बलौदा बाजार में हुई 4 लोगों की हत्या
12 सितंबर को छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के कसडोल थाना क्षेत्र के छरछेड़ गांव में भी ऐसी ही सनसनीखेज घटना सामने आई थी। यहां जादू-टोना के शक में एक ही परिवार के चार सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। मृतकों में 2 बहनें, 1 भाई और 1 बच्चा शामिल है। पुलिस ने बताया था कि शुरुआती जांच के बाद ऐसा लग रहा है कि ये हत्याएं जादू-टोना और अंधविश्वास के चलते की गई हैं। इस मामले में 3 आरोपियों को हिरासत में लिया गया था। मृतकों की पहचान चैतराम, जमुना बाई केवट, यशोदा बाई केवट के रूप में हुई है।
सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर अंधविश्वासों के खिलाफ उठना चाहिए ठोस कदम
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में जादू-टोना के संदेह के कारण हिंसा की घटनाओं में वृद्धि चिंता का विषय है। पुलिस की ओर से त्वरित कार्रवाई एक सकारात्मक कदम है, लेकिन जब तक समाज में व्याप्त अंधविश्वास और इसके कारण उत्पन्न हिंसक प्रवृत्तियों को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक इस प्रकार की घटनाएं होती रहेंगी। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर ऐसे अंधविश्वासों के खिलाफ लड़ने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार की हत्याएं रोकी जा सकें।