Saturday, April 19, 2025
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शिक्षा का मंदिर या लापरवाही का अड्डा? सोती शिक्षिका और वीडियो कॉल में व्यस्त प्रधानपाठिका… बच्चों के भविष्य से खिलवाड़…

सीपत: शिक्षा व्यवस्था की खामियां उजागर, बच्चों का भविष्य अधर में/

प्राथमिक शाला बरेली में अनुशासनहीनता और लापरवाही का आलम/

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ बिलासपुर जिले के शिक्षा के स्तर को सुधारने के सरकारी प्रयासों के बावजूद, मस्तूरी विकासखंड के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। सीपत क्षेत्र के ग्राम बरेली स्थित प्राथमिक शाला में शिक्षा व्यवस्था की खामियां सामने आई हैं।

शिक्षिका सोती मिली, प्रधानपाठिका वीडियो कॉल में व्यस्त 

हमारे दर्शक जब प्राथमिक शाला बरेली पहुंचे तब देखा कि वहां का दृश्य बेहद निराशाजनक था। कक्षा में बच्चों को पढ़ाने के बजाय, एक शिक्षिका रामेश्वरी कैवर्त्य सोती हुई पाई गईं। वहीं, स्कूल की प्रधानपाठिका लक्ष्मी माल्या अपने कार्यालय में बैठकर वीडियो कॉल पर व्यस्त थीं। कक्षाओं में बच्चों को स्वाध्ययन करते हुए और इधर-उधर घूमते हुए देखा गया, जो स्कूल में अनुशासन की कमी को दर्शाता है।

शिक्षकों की जवाबदेही पर सवाल

विद्यालय में न तो बच्चों पर नजर रखने वाला कोई शिक्षक था, न ही उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करने वाला। इस तरह की लापरवाही से स्थानीय प्रशासन की उदासीनता भी उजागर होती है। नियमित निरीक्षण न होने के कारण शिक्षकों में जवाबदेही की भावना का अभाव स्पष्ट नजर आ रहा है।

बच्चों के भविष्य पर संकट  

शिक्षा के प्रति यह लापरवाही केवल बच्चों की पढ़ाई को बाधित नहीं कर रही, बल्कि उनके भविष्य को भी खतरे में डाल रही है। सरकारी स्कूलों में अनुशासनहीनता और शिक्षकों की उदासीनता ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है।

सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत  

शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए न केवल शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करनी होगी, बल्कि नियमित निरीक्षण, प्रशिक्षण और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी सुनिश्चित करनी होगी। बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग को तत्काल कदम उठाने होंगे।

बरेली प्राथमिक शाला का यह उदाहरण यह सोचने पर मजबूर करता है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए किए जा रहे प्रयास आखिर जमीन पर क्यों नहीं दिखते।

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