कोरबा। जिले की एसईसीएल खदानों के द्वारा वित्तीय वर्ष 2024 में कोल उत्पादन लक्ष्य हासिल करने की होड़ साफ देखी जा सकती हैं। कुसमुंडा खदान में भी किसी बड़ी अनहोनी का अंदेशा हैं। भगवान करें ऐसा ना हो परंतु जिस तरह से एक बार फिर कुसमुंडा प्रबंधन की खदान से कोयला उत्पादन की करने की अति उत्सुकता प्रदर्शित हो रही हैं, लोगों की जान पर बन आ रही हैं। ताजा मामला कुसमुंडा खदान से लगे ग्राम बरपाली का हैं। जहां खदान से महज कुछ ही दूरी पर बुधवार साय अपने परिवार के साथ सीट और खपरेल के कच्चे पक्के मकान में निवासरत हैं।
रविवार दोपहर कुसमुंडा खदान में हुए जोरदार ब्लास्टिंग की वजह से मकान का छप्पर भरभरा कर गिर गया। जिस वक्त यह हादसा हुआ महिला बगल के कमरे में खाना बना रही थी,जैसे ही ये हादसा हुआ घर वालों के हाथ पैर फूल गए, इस हादसे में लोग बाल बाल बचें हैं। आपको बता दें गेवरा बस्ती क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बरपाली के अलावा जटराज, पाली, पडनिया, सोनपुरी, रिश्दी, खोडरी इत्यादि ग्राम भी कुसमुंडा खदान से लगे हुए है जहां आये दिन बालस्टिंग की वजह से घरों के छप्पर गिर रहे हैं, दीवारों में दरारें पड़ रही हैं। बरपाली ग्राम में रहने वाले और लोगों ने बताया की खदान में दिनभर में 6 से 7 बार हैवी ब्लास्टिंग होती हैं, कई बार तो ब्लास्टिंग के दौरान भारी भरकम पत्थर भी खदान से छिटक कर घरों में गिर रहे हैं।
ग्रामीणों द्वारा कई बार शिकायत अथवा खदान में आंदोलन के बाद कुसमुंडा प्रबंधन के अधिकारी हरकत में आते है और क्षतिपूर्ति के रूप में चंद पैसे अथवा घरों की छप्पर में लगाने सीट की व्यवस्था कर चुप्पी साध लेते हैं। वर्तमान समय में कुसमुंडा खदान में जिस तरह से तय मानकों को अनदेखा कर कोयले का खनन किया जा रहा है जिससे खदान एक विशालकाय कुंवा नुमा खाई बनती जा रहा है। कई कई स्थानों पर मुहाने से एक पैर आगे बढ़ाने व्यक्ति अथवा मवेशी सीधे सैकड़ों फीट नीचे खदान में समा सकते हैं। कुसमुंडा प्रबंधन के अधिकारियों की गलत नीति की वजह से खदान प्रभावित भूविस्थापितों को सही समय विस्थापन, बसावट, मुवावजा और रोजगार नही मिल पा रहें है।
पीड़ित राधिका भाई ने बताया कि घर पर किचन में खाना बनाने अंदर गई हुई थी इस दौरान अचानक से ब्लास्टिंग हुआ और घर का छज्जा गिर गया ब्लास्ट इतना खतरनाक था कि तेरी समिति और किसी तरह वहां से भाग कर जान बचाई। यह कोई पहला ब्लास्ट नहीं था इससे पहले भी कई हैवी ब्लास्टिंग हो चुकी है जिसके चलते आसपास के गांव के लोग दहशत में जीने को मजबूर है।