बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस और दीवाली के अवसर पर जब पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा था, कलेक्ट्रेट के पास स्थित छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति अंधेरे में रही। प्रशासनिक कार्यालयों और शासकीय भवनों पर खास रोशनी की गई थी, लेकिन छत्तीसगढ़ महतारी की इस ऐतिहासिक मूर्ति को नजरअंदाज कर दिया गया। इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने आक्रोश व्यक्त किया और इसे “छत्तीसगढ़ महतारी का अपमान” करार दिया।
स्थानीय लोगों की आपत्ति और निंदा
स्थानीय निवासियों ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई कि इतनी महत्वपूर्ण प्रतिमा को विशेष अवसर पर रोशनी से वंचित क्यों रखा गया। उनकी राय में छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति का सम्मान हर विशेष अवसर पर किया जाना चाहिए, और यह घटना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है। लोगों ने कहा कि राज्य के गौरव का प्रतीक होने के नाते इस मूर्ति का महत्व है, जिसका अनादर किसी भी स्थिति में नहीं होना चाहिए।
मीडिया कवरेज के बाद हरकत में आया प्रशासन
इस मामले को मीडिया द्वारा कवर किए जाने के बाद प्रशासन की नींद टूटी, और अगले ही दिन मूर्ति पर रोशनी की व्यवस्था की गई। हालाँकि, इस घटना के बावजूद प्रशासन ने स्पष्ट रूप से किसी दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। जब इस मामले में बिलासपुर कलेक्टर से जवाब मांगा गया, तो उन्होंने निगम प्रशासन पर जिम्मेदारी डालते हुए इसे किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा रोशनी बंद करने की बात कहकर मामले को हल्के में लिया।
दीवाली की रोशनी में महतारी की मूर्ति रही अंधेरे में
जब पूरे शहर में दीवाली की जगमगाहट थी, तब कलेक्ट्रेट और एसपी कार्यालय के सामने स्थित मुख्य मार्ग पर छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति अंधेरे में छिपी रही। इससे यह सवाल उठता है कि प्रशासन के पास विभिन्न सरकारी भवनों के लिए लाखों रुपए का बजट होते हुए भी इस प्रतिष्ठित मूर्ति की उपेक्षा कैसे की गई।
प्रशासनिक लापरवाही का संदेश और भविष्य की उम्मीदें
इस घटना ने प्रशासन की लापरवाही और राज्य के प्रतीक के प्रति अवहेलना का संकेत दिया है। उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी और छत्तीसगढ़ महतारी के प्रति सम्मान बना रहेगा।