बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मुफ्त में मिलने वाली सरकारी चावल हड़पने के लिए खाद्य विभाग में कूटरचना कर एपीएल को बीपीएल राशन कार्ड बनाने का मामला सामने आया है। इस तरह से फर्जीवाड़ा कर बड़ी संख्या में कार्ड बनाए गए हैं।
खास बात यह है कि जिनका कार्ड बनाया गया है, उन उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी तक नहीं है। इस गड़बड़ी में विभाग के अफसर और कर्मचारियों की मिलीभगत होने की आशंका है।
दरअसल, नगर निगम क्षेत्र के तालापारा की जिन दुकानों में उचित मूल्य की दुकान में चावल में गड़बड़ी हुई, तब इसका खुलासा हुआ। बताया जा रहा है कि जिस दुकान में चावल में हेराफेरी की गई है, उसी दुकान में फूड विभाग के अफसरों ने दूसरी दुकानों को भी संलग्न कर दिया, ताकि फर्जी राशन कार्ड से चावल उठाव किया जा सके। इसी तरह का खेल अन्य दुकानों में भी चल रहा है।
एपीएल कार्ड को बीपीएल में बदला
खाद्य विभाग में एपीएल राशन कार्ड को बीपीएल राशन कार्ड बनाने का मामला तब सामने आया, जब वास्तविक कार्डधारियों को इसकी जानकारी हुई। पहले उन्हें पता ही नहीं था कि उनके नाम पर बीपीएल कार्ड बन गया है। इस तरह से एक नहीं। बल्कि दर्जन भर से अधिक राशनकार्ड है, जिसे APL से बदल कर BPL राशन कार्ड बना दिया गया है।
जांच कराने की बात कह रहे अधिकारी
विभाग के जानकारों का कहना है कि APL से BPL राशन कार्ड बनाना फूड कंट्रोलर की आईडी लॉगिन से ही संभव है। साल 2022 में एपीएल कार्ड को बीपीएल राशन कार्ड बनाने की बात कही जा रही है। अब मामला सामने आने पर विभाग के अफसर इसकी जांच कराने की बात कह रहे हैं।
अफसरों की मिलीभगत से पहले भी किया था घोटाला तत्कालीन फूड कंट्रोलर एचएल मसीह के कार्यकाल के दौरान जिले के आठ गांवों में 8 दुकान संचालकों ने मिलकर 27 लाख रुपए का राशन घोटाला किया था। इनमें मस्तूरी और कोटा में शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालित करने वाले लोग शामिल थे।
तब इस गड़बड़ी के कारण ही सरकार ने इन दुकानों का डिलीवरी ऑर्डर ब्लॉक कर दिया था। इस मामले की जांच का जिम्मा दो खाद्य निरीक्षक धीरेंद्र कश्यप और अजय मौर्य को दिया गया है। जबकि, विभाग के अफसर और बाबू खुद संदेह के घेरे में हैं।
फूड इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध
यह कारनामा कितने समय पहले का है और फूड कंट्रोलर की आईडी लॉगिन का उपयोग विभाग में कौन-कौन बाबू करता है, यही जांच का विषय है। वर्ष 2022 में जिस वक्त बीपीएल कार्ड बनाए जाने की बात कही जा रही है, उस वक्त फूड कंट्रोलर कौन था और उनकी इस मामले में क्या भूमिका थी।
यदि उन्हें इसकी जानकारी थी, तब उन्होंने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। क्या उनकी भी मिली भगत रही, ऐसे कई सवाल हैं, जो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएंगे।