मनेन्द्रगढ़- चिरमिरी – भरतपुर। छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ जिले में एक बेटी ने अपने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने की अनोखी मिसाल पेश की। उनके पिता की आकस्मिक मौत के बाद, उन्होंने और उनकी बहन ने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। यह घटना दर्शाती है कि परिवार के सदस्यों के बीच समानता की भावना कैसे स्थापित की जा सकती है।
हार्ट अटैक से हुई निधन
मनीष रैकवार (50) का रविवार को हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया। उनकी पत्नी गायत्री रैकवार और बड़ी बेटी मनस्वी रैकवार घर पर थीं, जबकि छोटी बेटी मान्यता बेमेतरा में एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रही थी। मान्यता को अपने पिता की मौत की सूचना मिलते ही वह तुरंत घर लौट आई।
बेटियों ने निभाई अंतिम कर्तव्य
सोमवार को, दोनों बेटियों ने अपने पिता को कंधा दिया और श्मशान घाट तक ले जाकर उनका अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार के बाद, बेटियों ने कहा कि उनके पिता की इच्छा थी कि वे उनका अंतिम संस्कार करें, और उन्होंने इसे पूरी श्रद्धा के साथ निभाया।
पापा की अंतिम इच्छा थी कि हम दोनों बेटियां उनका अंतिम संस्कार करें। उनका बेटा नहीं था, लेकिन उन्होंने हमको कभी अपने बेटों से कम नहीं समझा। हमारे परिवार वालों ने भी कहा कि अपने पिताजी की अंतिम इच्छा पूरा करिए… ये बातें अपने पिता की अर्थी को कंधा और मुखाग्नि देने वाली बेटी ने कही है।
समाज में बदलती सोच
पुजारी रामचरित द्विवेदी ने बताया कि हमारे समाज में कई मान्यताएं हैं, लेकिन मनीष रैकवार ने हमेशा बेटा और बेटी में फर्क नहीं किया। उन्होंने कहा, “हम कौन होते हैं फर्क करने वाले?” यह घटना दर्शाती है कि समाज में मानसिकता बदल रही है और बेटियों को भी समान अधिकार दिए जा रहे हैं।
इस प्रकार, इस परिवार ने न केवल अपने पिता की अंतिम इच्छा का सम्मान किया, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी बने।