बिलासपुर: आदिवासी जमीन पर भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि भूमाफियाओं का कब्जा/
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य निर्माण के बाद बिलासपुर नगर का विकास तेजी से हुआ और यह महानगर के रूप में पहचान बनाने लगा। इस विकास के बीच शहर में कुछ रसूखदार लोग भूमाफिया के रूप में उभरकर सामने आए। ये भूमाफिया बेशकीमती जमीनों पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं और इन्हें औने-पौने दामों में खरीदकर बड़े मुनाफे कमाने का खेल शुरू कर चुके हैं।
आदिवासियों की जमीन पर खतरा
शहर में भूमाफिया अब आदिवासियों की जमीन पर भी अपनी निगाहें जमाए हुए हैं। संविधान और राज्य कानून के अनुसार आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासी नहीं खरीद सकते। फिर भी, कानून की धज्जियां उड़ाते हुए भूमाफिया इन जमीनों पर कब्जा जमाने के लिए सक्रिय हो चुके हैं। तीन साल पुरानी एक घटना में, एक आदिवासी ने अपनी जमीन आदिवासियों को कई टुकड़ों में बेच दी थी, लेकिन अब भूमाफिया इन जमीनों पर कब्जा करने के लिए पूरा दबाव बना रहे हैं।
सरकारी जमीन के नाम पर प्लॉटिंग
भूमाफियाओं द्वारा आदिवासी जमीन में प्लॉटिंग कर सरकारी जमीन के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। ये लोग प्रशासन पर दबाव बनाकर इस मामले को और उलझाने में लगे हुए हैं, जबकि हकीकत में यह जमीन सरकारी खसरे से उलट है।
प्रशासन नतमस्तक
बिलासपुर में भूमाफियाओं के सामने प्रशासन आज भी नतमस्तक नजर आ रहा है। सत्ता में बदलाव के बावजूद भी भूमाफियाओं का राज बदस्तूर जारी है। आदिवासी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य की सत्ता होने के बावजूद, आदिवासी जमीनों पर कब्जा करने का प्रयास एक खतरनाक खेल बना हुआ है।
अगले अंक में हम इन भूमाफियाओं और रसूखदारों की गतिविधियों का पर्दाफाश करेंगे, जो आदिवासियों के आशियानों को उजाड़ने में लगे हुए हैं।