Friday, November 22, 2024
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नवरात्र विशेष : आज है मां कालरात्रि का दिन… भय से मुक्ति देने वाली देवी हैं मां काल रात्रि… ऐसे करें इनकी आराधना…

Chaitra Navratri 2024: आज (15 अप्रैल 2024) चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है जो माता कालरात्रि को समर्पित किया गया है. ये दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्त मां के आशीर्वाद के लिए उपवास रखकर मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करते हैं. देवी कालरात्रि की पूजा करने से उपासक को कई आशीर्वाद और सिद्धियां प्राप्त होती हैं. मां दुर्गा का ये रूप दुष्टों का विनाश करने के लिए जाना जाता है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा के कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए रूप लिया था. मां कालरात्रि को लेकर यह भी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भूत-प्रेत या बुरी शक्ति का डर नहीं सताता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से जानते हैं कि मां कालरात्रि की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग, आरती क्या है?।

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन के मुहूर्त

भद्रावास योग – दोपहर 12:11 बजे से संध्याकाल 08:39 बजे तक है.ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:27 बजे से 05:12 बजे तक.विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक.गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:45 बजे से 07:08 बजे तक।

कौन हैं मां कालरात्रि?

मां कालरात्रि की छवि उनके नाम के अनुसार है अर्थात रूप काला और आक्रामक है. मां के तीन नेत्र हैं. मां के चार हाथ हैं जिनमें दो हाथों में खड़ग और कांटा है. वहीं, बाकी दो हाथों में वर देने की और दूसरे हाथ अभय मुद्रा में है. मां की सवारी कवर्ध यानी गधा है. पौराणिक शास्त्रों की मानें तो रक्तबीज नामक राक्षस के वध करने के लिए मां ने ऐसा रूप रखा था।

कालरात्रि की पूजा के फायदे

धार्मिक शास्त्रों की मानें तो मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं. तंत्र-मंत्र के साधक मां कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा करते हैं. साथ ही मां कालरात्रि की आराधना करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है. ऐसी भी मान्यता है कि कालरात्रि साधक की अकाल मृत्यु से रक्षा करती है।

कालरात्रि की पूजा के मंत्र

1. ॐ कालरात्र्यै नम:

2. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा.

3. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:

मां कालरात्रि का भोग

मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है.

इस तरह से करें कालरात्रि की पूजा

नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां की पूजा अन्य दिनों की तरह ही कर सकते हैं लेकिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सबसे उपर्युक्त समय रात्रि का माना जाता है.मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए पूजा करने वाले स्थान को अच्छे से साफ करें.पूजा स्थल को स्वच्छ करने के साथ खुद भी साफ सुथरे कपड़े पहनें.इस दिन लाल कपड़े पहने तो बेहतर होगा.इसके बाद पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें.माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद मां को रातरानी के फूल चढ़ाएं.मां कालरात्रि को तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं.मां कालरात्रि को खुश करने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करें.पूजा करने के बाद भोग चढ़ाने के लिए गुड़ अर्पित करें.भोग लगाने के बाद मां की कपूर या दीपक से आरती उतारें. इसके साथ ही लाल चंदन की माला से माता के मंत्रों का जाप करें।

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Chaitra Navratri 2024: आज (15 अप्रैल 2024) चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है जो माता कालरात्रि को समर्पित किया गया है. ये दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्त मां के आशीर्वाद के लिए उपवास रखकर मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करते हैं. देवी कालरात्रि की पूजा करने से उपासक को कई आशीर्वाद और सिद्धियां प्राप्त होती हैं. मां दुर्गा का ये रूप दुष्टों का विनाश करने के लिए जाना जाता है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा के कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए रूप लिया था. मां कालरात्रि को लेकर यह भी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भूत-प्रेत या बुरी शक्ति का डर नहीं सताता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से जानते हैं कि मां कालरात्रि की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग, आरती क्या है?। चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन के मुहूर्त भद्रावास योग – दोपहर 12:11 बजे से संध्याकाल 08:39 बजे तक है.ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:27 बजे से 05:12 बजे तक.विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक.गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:45 बजे से 07:08 बजे तक। कौन हैं मां कालरात्रि? मां कालरात्रि की छवि उनके नाम के अनुसार है अर्थात रूप काला और आक्रामक है. मां के तीन नेत्र हैं. मां के चार हाथ हैं जिनमें दो हाथों में खड़ग और कांटा है. वहीं, बाकी दो हाथों में वर देने की और दूसरे हाथ अभय मुद्रा में है. मां की सवारी कवर्ध यानी गधा है. पौराणिक शास्त्रों की मानें तो रक्तबीज नामक राक्षस के वध करने के लिए मां ने ऐसा रूप रखा था। कालरात्रि की पूजा के फायदे धार्मिक शास्त्रों की मानें तो मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं. तंत्र-मंत्र के साधक मां कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा करते हैं. साथ ही मां कालरात्रि की आराधना करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है. ऐसी भी मान्यता है कि कालरात्रि साधक की अकाल मृत्यु से रक्षा करती है। कालरात्रि की पूजा के मंत्र 1. ॐ कालरात्र्यै नम: 2. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा. 3. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: मां कालरात्रि का भोग मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. इस तरह से करें कालरात्रि की पूजा नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां की पूजा अन्य दिनों की तरह ही कर सकते हैं लेकिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सबसे उपर्युक्त समय रात्रि का माना जाता है.मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए पूजा करने वाले स्थान को अच्छे से साफ करें.पूजा स्थल को स्वच्छ करने के साथ खुद भी साफ सुथरे कपड़े पहनें.इस दिन लाल कपड़े पहने तो बेहतर होगा.इसके बाद पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें.माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद मां को रातरानी के फूल चढ़ाएं.मां कालरात्रि को तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं.मां कालरात्रि को खुश करने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करें.पूजा करने के बाद भोग चढ़ाने के लिए गुड़ अर्पित करें.भोग लगाने के बाद मां की कपूर या दीपक से आरती उतारें. इसके साथ ही लाल चंदन की माला से माता के मंत्रों का जाप करें।