रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत को वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाने के संकल्प में छत्तीसगढ़ प्रभावी भूमिका अदा कर रहा है। हमारी सरकार विकसित छत्तीसगढ़ के संकल्प को लेकर राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए नई-नई योजनाएं तैयार कर रही है। उन्होंने राज्य की जनता को 78वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों के कठिन संघर्ष और बलिदान से हमें आजादी मिली है। आजादी के लिए हमारे पुरखों ने अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरूद्ध लंबा संघर्ष किया। उनके बलिदान और संघर्षों के फलस्वरूप मिली आजादी को हमें अक्षुण बनाए रखना है। लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत बनाना है। मुख्यमंत्री साय आज राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउण्ड में स्वतंत्रता दिवस मुख्य समारोह में ध्वजारोहण के बाद प्रदेशवासियों को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे देश के स्वाधीनता सेनानियों के साथ ही छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने भारत माता की परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ने के लिए जो अनथक मेहनत की, उसके सुखद परिणाम स्वरूप आज हम स्वतंत्र वातावरण में साँस ले रहे हैं। देश के अन्य हिस्सों की तरह छत्तीसगढ़ में शहीद गेंद सिंह, शहीद धुरवा राव, शहीद यादव राव, शहीद वेंकट राव, वीर गुंडाधुर, शहीद डेबरी धुर, शहीद आयतु माहरा, शहीद वीर नारायण सिंह जैसे हमारे अनेक ऐतिहासिक नायकों ने अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेकने के लिए अदम्य साहस का परिचय देते हुए जनमानस में स्वाधीनता की अलख जगायी। आज जिस स्वतंत्रता का उपभोग कर रहे हैं, वह हमारे पुरखों के बलिदान का प्रतिफल है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर का संविधान आज लोकतंत्र को आगे बढ़ने की राह दिखा रहा है। यह हमारे लिए एक प्रकाश स्तंभ है। बरसों पहले बाबा गुरु घासीदास जी ने समता मूलक समाज का आदर्श हम सबके सामने रखा था, जो बाबा साहेब द्वारा निर्मित संविधान में फलीभूत हुआ। उनके संविधान में कबीर की वाणी का सार भी है, जो भारत के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ समानता प्रदान करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में भरोसे का संकट सबसे बड़ा संकट होता है। यह तंत्र निश्चित ही जनता का अपने प्रतिनिधियों पर भरोसा कायम रखने से ही चलता है। छत्तीसगढ़ सरकार की बागडोर संभालने के बाद हमारी सबसे बड़ी चुनौती इसी भरोसे को बहाल करने की थी। हमें यह कहते हुए संतोेष हो रहा है कि हमारी सरकार ने आपसे किये अधिकांश वायदों को पूरा कर विश्वास को फिर से स्थापित किया है। हमारे संविधान निर्माताओं का सपना ऐसे ही मजबूत लोकतंत्र का था, जहां जनता और उसकी चुनी हुई सरकार भरोसे की ऐसी ही मजबूत डोर में बंधी रहे। वास्तव में यह लोकतंत्र का मजबूत रक्षासूत्र है, जिसे कभी भी किसी भी लोकसेवक को कमजोर नहीं करना चाहिए।
मुख्यमंत्री साय ने आगे कहा कि हमारे राज्य निर्माता भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय स्वर्गीय अटल जी ने छत्तीसगढ़ का निर्माण प्रदेश के व्यापक आर्थिक विकास एवं प्रदेश की सुंदर संस्कृति के संरक्षण के लिए किया। हमारा दायित्व है कि ‘हमने ही बनाया है, हम ही संवारेंगे’ के संकल्प के साथ प्रदेश के नवनिर्माण में पूरी लगन से जुट कर अटल जी का सपना साकार करें। विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान देकर हम पूर्वजों की इस परंपरा को आगे बढ़ाने का यश हासिल कर सकते हैं, यही हमारा कर्तव्य भी है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आज के दिन हम उन पूर्वजों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिन्होंने आपातकाल के कठिन दौर में संविधान की मशाल को बुझने नहीं दिया। देश भर में हजारों लोकतंत्र सेनानियों ने इमरजेंसी का विरोध किया और इसके प्रतिरोध में जेल की सजा और अन्य यातनाएँ भुगतीं। अगले वर्ष 25 जून को इमरजेंसी के पचास बरस पूरे हो जाएंगे। इस वर्ष ‘‘आपातकाल स्मृति दिवस‘‘ के अवसर पर 25 जून के दिन हमें अपने प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों का आशीर्वाद मिला है। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि अपने लोकतंत्र सेनानियों के प्रति कृतज्ञता-ज्ञापित करने हेतु पिछले पांच वर्षों से रुकी उनकी सम्मान निधि हमारी सरकार द्वारा पुनः प्रारंभ की गई है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आज के दिन हम अपने उन जवानों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जो हमारे प्रदेश में लोकतंत्र विरोधी, नक्सलवादी आतंक से पूरे साहस और जज्बे के साथ मुकाबला कर रहे हैं। बीते आठ महीनों में हमारे जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए 146 नक्सलियों को मार गिराया है। इस दौरान हमने 32 नये सुरक्षा कैंप खोले हैं और आने वाले दिनों में 29 नये कैंप शुरू करने जा रहे हैं। आज कई वर्षों बाद क्षेत्र की जनता सुरक्षित महसूस कर रही है, जिसका कारण हमारे वीर जवानों की मेहनत व पराक्रम है।
अब बस्तर तीव्र विकास के लिए है तैयार
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि नक्सलवादी घटनाओं से निपटने के लिए अनुसंधान और अभियोजन की कार्रवाई और भी प्रभावी रूप से हो सके, इसके लिए हमने राज्य अन्वेषण एजेंसी (एसआईए) का गठन किया है। बस्तर की जनता नक्सलियों से त्रस्त हो चुकी है और विकास के मार्ग पर सरपट दौड़ने को तैयार है। उन्होंने कहा कि अन्दरूनी क्षेत्रों में नये कैंपों का विस्तार कर लोगों को आतंक से मुक्ति देने के साथ ही इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने का काम भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इसके लिए हमने ‘’नियद नेल्लानार’’ योजना शुरू की है। इस शब्द का अर्थ होता है -’’आपका अच्छा गांव’’। विशेष पिछड़ी जनजातियों के हितग्राहियों के लिए आरंभ की गई ‘’पीएम जनमन योजना’’ की तरह इस योजना से कैंपों के निकट पांच कि.मी. की परिधि के गांवों में 17 विभागों की 53 हितग्राही मूलक योजनाओं एवं 28 सामुदायिक सुविधाओं का लाभ लोगों को दिया जा रहा है। इन गांवों में पहली बार लोगों के आयुष्मान कार्ड बने हैं। वे शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सरकार की लोकहितकारी योजनाओं का लाभ अब उठा रहे हैं। उनके जीवन में सुशासन का नया सवेरा आया है।
प्रदेश में रिकॉर्ड धान खरीदी
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमें अपने जवानों के साथ अपने किसानों पर भी गर्व है। उनके श्रम से छत्तीसगढ़ महतारी का धान का कटोरा भरा-पूरा रहता है। प्रधानमंत्री मोदी जी की गारंटी के अनुरूप हमने अन्नदाताओं की सुख-समृद्धि को सर्वाेच्च प्राथमिकता में रखा है। पूर्व प्रधानमंत्री और हमारे प्रेरणा पुंज अटल जी के जन्मदिन ‘‘सुशासन दिवस’’ के अवसर पर हमने राज्य के 13 लाख किसानों के बैंक खाते में 3716 करोड़ रुपये का बकाया धान बोनस अंतरित किया। हमने अपने वायदों को पूरा करते हुए किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से और 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी की। प्रदेश में ‘‘रिकॉर्ड’’ 145 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई।
खेती-किसानी में लौटी रौनक
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि किसानों को समर्थन मूल्य की 32 हजार करोड़ रुपए की राशि के साथ ही कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत प्रदेश के 24 लाख 75 हजार किसानों को अंतर की राशि 13 हजार 320 करोड़ रुपये अंतरित किए गए। इस प्रकार हमारे अन्नदाताओं के खाते में सरकार ने धान खरीदी और बकाया बोनस मिलाकर लगभग 49 हजार करोड़ रुपए अंतरित किए। भूमिहीन किसानों को हमने दीनदयाल उपाध्याय कृषि मजदूर कल्याण योजना के अंतर्गत 10 हजार रुपए वार्षिक सहायता राशि देने का निर्णय लिया है। प्रदेश में कृषि हितैषी नीतियों की वजह से खेती-किसानी में रौनक लौट आई है और किसानों के चेहरों पर मुस्कान नजर आ रही है। आज हमारे गांव आर्थिक रूप से संपन्न नजर आते हैं। एक लोककल्याणकारी सरकार के लिए इससे बढ़कर संतोष की बात और कुछ नहीं हो सकती।
संस्कृति संवर्धन
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़िया लोगों की पहचान देश-दुनिया में सहज-सरल लोगों के रूप में है। यह हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। हम मेहनतकश लोग हैं। ईमानदारी से काम करते हैं। यह हमारे सांस्कृतिक मूल्य हैं। इन्हें सहेज कर रखना हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। अपनी बोली-भाषा, तीज त्यौहार, खान-पान को सहेजते हुए आने वाली पीढ़ी को इनसे परिचित कराते हुए हमें निरंतर आगे बढ़ना है।
’‘एक पेड़ माँ के नाम’‘ अभियान
मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के संकट को देखते हुए हम सबका कर्तव्य है कि पर्यावरण को बेहतर बनाने में अपनी भागीदारी दें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ’‘एक पेड़ माँ के नाम’‘ अभियान आरंभ किया है। मैंने अपने गृह ग्राम बगिया में इस अभियान के अंतर्गत रुद्राक्ष का पौधा लगाया है। रायपुर में मुख्यमंत्री निवास में मैंने दहीमन का पौधा लगाया है। आप भी एक पौधा जरूर लगाएं, यह आग्रह है।
श्रीराम के वनवास काल का साक्षी रहा छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी पुण्य भूमि का परम सौभाग्य है कि श्रीराम हमारे भांजे हैं और उनकी कर्मभूमि भी छत्तीसगढ़ है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के सीतामढ़ी हरचौका से लेकर सुकमा के इंजरम तक कण-कण श्रीराम के वनवास काल का साक्षी है। हमारी धरती, माता शबरी की पुण्य भूमि है। पवित्र शिवरीनारायण धाम में उन्होंने अपनी अगाध श्रद्धा से जूठे बेर प्रभु को खिलाए थे। वनवास के दौरान बिताए गए चौदह वर्षों में से दस वर्ष प्रभु श्री राम ने हमारे छत्तीसगढ़ में ही बिताए हैं। रामायण के प्रसंग जनजातीय लोगों से प्रभु श्रीराम के अद्भुत स्नेह तथा प्रभु श्रीराम के जनजातीय लोगों के प्रति गहन अनुराग और समर्पण से भरे पड़े हैं। हम जब भी इन प्रसंगों को सुनते हैं, भाव विभोर हो जाते हैं। हम धन्य हैं कि हमारा जन्म इस पुण्य भूमि में हुआ है। यह सौभाग्य हमें श्रीराम के आदर्शों पर चल कर निरंतर काम करने की प्रेरणा देता है।
अयोध्या धाम श्रीरामलला दर्शन योजना‘
मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच सौ वर्षों के अहिंसक संघर्ष की पूर्णाहुति अयोध्या धाम में श्रीरामलला के भव्य मंदिर के निर्माण के रूप में हुई। अपने भांचा राम के दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ का हर नागरिक उत्सुक है। ‘‘अयोध्या धाम श्रीरामलला दर्शन योजना‘‘ के माध्यम से हम हजारों रामभक्तों को उनके आराध्य के दर्शन के लिए पूर्णतः निःशुल्क भेजने का माध्यम बने हैं। यह पुण्य अवसर हमें श्रीरामलला ने दिया है। उन्होंने तुलसीदास जी के रामचरितमानस के दोहे का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज्य नहीं काहुहि ब्यापा।’’ भगवान श्रीराम ने एक आदर्श राज्य की स्थापना की। आप सभी के सहयोग से हम अपने पूरे सामर्थ्य के साथ काम करते हुए छत्तीसगढ़ को सुखी, समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में काम करेंगे।