Saturday, November 23, 2024
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आसमान से निकलते अंगारों के बीच निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, रेलवे स्टेशन स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से श्री गुंडिचा मंदिर तक निकली रथयात्रा, पहली बार विधायक ने किया छेरा पहरा

बिलासपुर।महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की नगरी उड़ीसा में भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का महोत्सव भव्य रूप से मनाया जाता है। पूरे देश के प्रत्येक जगहों पर रथ यात्रा उत्सव मनाया जाता है। बिलासपुर जिले के रेलवे परिक्षेत्र में कई वर्षों से रथ यात्रा श्री जगन्नाथ मंदिर से लेकर गुंडीचा मंदिर तक निकाला जाता है। कहते हैं महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा के दिन बरसात होती है लेकिन इस वर्ष कड़ी धूप के बीच महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकली। फिर भी लोगों रथ यात्रा को लेकर काफी उत्साह नजर आया। तेज धूप के बीच भी लोग महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की रथ खींचते रहे।

भगवान जगन्नाथ के मानवीय स्वरूप के हुए दर्शन

मंगलवार को भी उसी परंपराओं के साथ दोपहर करीब 2:00 बजे श्री जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा निकली। सनातनी मान्यताओं के अनुसार स्नान पूर्णिमा पर 108 कलश जल से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलदाऊ के स्नान करने के बाद ऐसी मान्यता है कि तीनों बीमार पड़ गए थे, जिसके बाद से मंदिर के कपाट बंद कर आयुर्वेदिक पद्धति से काढा, दवा एवं सुपाच्य भोजन से उनका उपचार किया गया। 15 दिन उपचार के बाद तीनों स्वस्थ हुए तो फिर मंदिर में नेत्र उत्सव और नवजोबन उत्सव मनाया गया। प्राचीन कथा अनुसार स्नान पूर्णिमा पर अस्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा कमजोर हो गए हैं, इसलिए वे अपने मौसीमा के बुलावे पर उनके घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इसी यात्रा को रथ यात्रा कहा जाता है। मान्यता है कि एक सप्ताह तक मौसी मां का स्नेह और आतिथ्य स्वीकार कर उनके द्वारा परोसे गए छप्पन भोग ग्रहण करने से तीनो भाई बहन पूर्ण स्वस्थ हो उठते हैं और फिर पुनः वापस अपने मंदिर लौट आते हैं। पूरे रथयात्रा के पीछे यही कथा विधान है।

दो दिन पहले नेत्र उत्सव के साथ ही भगवान जगन्नाथ मंदिर के पट एक बार फिर खुल गए और भक्तों ने उनका दर्शन किया। उत्सव के लिए मंदिर की विशेष सजावट की गई। मंदिर में नया ध्वज पुजारी गोविंद पाढ़ी ने लगाया श्री मंदिर में मंगलवार को सुबह से ही विशेष धार्मिक अनुष्ठान आरंभ हो गए। सुबह स्नान अभिषेक के पश्चात नवग्रह पूजन, हवन • आदि धार्मिक अनुष्ठान कर प्रसाद वितरण किया गया। दोपहर बाद छेरा पहरा की परंपरा का पालन करते हुए तीनों महाप्रभुओं को रथ पर सवार कराया गया।

पहली बार विधायक शैलेश पांडे ने सपत्नीक किया छेरा पहरा

विशिष्ट वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा रथ पर सवार हुए भगवान के आगे आगे उनके मार्ग को निष्कंटक करने की भावना के साथ विधायक शैलेश पांडे ने छेरा पहरा की परंपरा का पालन करते हुए मार्ग में झाड़ू लगाया, जिसके बाद प्रतिमाओं को रथ पर सवार कराया गया, जहां विधायक शैलेश पांडे, उनकी पत्नी ऋतु पांडे और अन्य गणमान्य अतिथियों ने उनकी पूजा अर्चना की। इस अवसर पर विधायक शैलेश पांडे ने इसे ऐतिहासिक परंपरा बताते हुए कहा कि उन्होंने भगवान जगन्नाथ से पूरे बिलासपुर वासियों के लिए सुख, समृद्धि, शांति, उनके अच्छे स्वास्थ्य व सफलता की मंगल कामना की है। श्री पांडे ने कहा कि एक सामान्य भक्तों की तरह वे हर वर्ष भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में सम्मिलित होते रहे हैं। भगवान जगन्नाथ महाप्रभु की ही कृपा है कि उन्हें इस वर्ष प्रथम बार छेरा पहरा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, इसके लिए उन्होंने आयोजन समिति, जनप्रतिनिधियों और क्षेत्र के नागरिकों के प्रति आभार जताया। विधायक शैलेश पांडे ने भी भगवान जगन्नाथ के रथ का रास्ता खींच कर पुण्य लाभ अर्जित किया। प्रचंड गर्मी के बीच निकली रथयात्रा

सामान्यतः जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन बारिश होती है और आसमान पर बादल छाए रहते हैं, लेकिन इस वर्ष रथयात्रा पर आसमान से अंगारे बरसते रहे लेकिन प्रचंड गर्मी भी भक्तों के उत्साह को कम नहीं कर पाई। सुबह से ही मंदिर में सैकड़ों की संख्या में भक्त उपस्थित थे, रथयात्रा तक यह संख्या बढ़कर हजारों में तब्दील हो गई। जैसे ही पुजारी का संकेत मिलता, भक्त रथ का रास्ता खींचने लगते बिलासपुर में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए विशेष रथ तैयार किया गया है। इस रथ की लंबाई 16 फीट ऊंचाई 17 फीट और चौड़ाई 12 फीट है। पिछले कई दिनों से इसका रंग रोगन, स्वास्थ सजावट जारी था। मंगलवार को इसी रथ पर सवार होकर जब भगवान जगन्नाथ महाप्रभु, देवी सुभद्रा और बलदाऊ अपना दर्शन देने भक्तों के बीच पहुंचे तो भक्तों का उत्साह आसमान छूने लगा। तेज गर्मी के बाद भी भक्त जय जगन्नाथ का उद्घोष करते हुए रथ का रस्सा खींचते हुए एक बार में ही कई कई मीटर की दूरी तय कर जाते।

यह रथ यात्रा श्री जगन्नाथ मंदिर से निकलकर तितली चौक, स्टेशन तार बाहर, गांधी चौक, दयालबंद, तोरवा थाना काली मंदिर होते हुए देर शाम ओडिया स्कूल पहुंची। यहां अस्थाई रूप से गुंडिचा मंदिर का निर्माण किया गया है। इससे पहले रास्ते में जगह-जगह रथ यात्रा का स्वागत किया गया। अलग अलग संगठन, समिति और दलों द्वारा पुष्प वर्षा कर रथ यात्रा का स्वागत किया गया। रास्ते में ही इस यात्रा के साथ भक्त जुड़ते भी चले गए। सभी रथ यात्रा के रथ की रस्सी खींच कर पुण्य लाभ अर्जन करते दिखे।

अब गुंडिचा मंदिर में ही देंगे भगवान दर्शन

श्री रथ यात्रा के अवसर पर भक्तों के बीच पारंपरिक प्रसाद कनिका का वितरण किया गया। भक्तों की बढ़ती संख्या को देखकर इस बार इसकी मात्रा 1 क्विंटल से बढ़ाकर 5 क्विंटल की गई थी। नगर भ्रमण कर देर शाम यह रथ यात्रा गुंडिचा मंदिर पहुंची, जहां आगामी पूरे एक सप्ताह तक विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होंगे मान्यता अनुसार यहां मौसी मां के हाथ के बने विशिष्ट पकवान खाकर तीनों भगवान पूर्ण रूप से स्वस्थ हो उठेंगे, जिसके बाद बहूडा यात्रा कर तीनों एक बार फिर उसी मार्ग से होते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर पहुंचेंगे, जहां रूठी हुई देवी लक्ष्मी को मनाने के बाद तीनों पुनः मंदिर प्रवेश करेंगे और फिर मंदिर में ही भक्तों को दर्शन लाभ देंगे।

रथ यात्रा में निहित दिव्य संदेशों को आत्मसात करने की

आवश्यकता है। मंदिर में भक्त, भगवान के दर्शन करने जाते हैं, लेकिन जगन्नाथ महाप्रभु स्वयं इतने उदार है कि वे भक्तों के बीच पहुंचकर ना केवल उन्हें दर्शन देते हैं बल्कि उन्हें रथ को खींचने का भी सुअवसर देते हैं बीमार पड़ने और स्वस्थ होने की लीला रच कर भगवान स्वयं को मानवीय रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। सामान्य तौर पर भक्त भगवान के दर्शन करने उनके मंदिर जाते हैं लेकिन जगन्नाथ प्रभु इतने दयालु है कि वह अपना दर्शन देने उनके ही बीच रथ यात्रा के रूप में उपस्थित हो जाते हैं। भक्त और

भगवान के बीच का यही अलौकिक प्रेम इस रथ यात्रा पर भी नजर आया।

बिलासपुर में मंगलवार को और भी कई स्थानों पर रथ यात्रा निकाली गई। श्री जगन्नाथ मंदिर के इस रथयात्रा में हजारों की संख्या में भगवान जगन्नाथ के भक्त शामिल हुए, जिनमें कई विशिष्ट जन भी सम्मिलित थे। अब आगामी 28 जून को बहूडा यात्रा निकलेगी, उससे पहले भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर में ही अपने भक्तों को दर्शन लाभ देंगे।

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बिलासपुर।महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की नगरी उड़ीसा में भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का महोत्सव भव्य रूप से मनाया जाता है। पूरे देश के प्रत्येक जगहों पर रथ यात्रा उत्सव मनाया जाता है। बिलासपुर जिले के रेलवे परिक्षेत्र में कई वर्षों से रथ यात्रा श्री जगन्नाथ मंदिर से लेकर गुंडीचा मंदिर तक निकाला जाता है। कहते हैं महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा के दिन बरसात होती है लेकिन इस वर्ष कड़ी धूप के बीच महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकली। फिर भी लोगों रथ यात्रा को लेकर काफी उत्साह नजर आया। तेज धूप के बीच भी लोग महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की रथ खींचते रहे। भगवान जगन्नाथ के मानवीय स्वरूप के हुए दर्शन मंगलवार को भी उसी परंपराओं के साथ दोपहर करीब 2:00 बजे श्री जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा निकली। सनातनी मान्यताओं के अनुसार स्नान पूर्णिमा पर 108 कलश जल से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलदाऊ के स्नान करने के बाद ऐसी मान्यता है कि तीनों बीमार पड़ गए थे, जिसके बाद से मंदिर के कपाट बंद कर आयुर्वेदिक पद्धति से काढा, दवा एवं सुपाच्य भोजन से उनका उपचार किया गया। 15 दिन उपचार के बाद तीनों स्वस्थ हुए तो फिर मंदिर में नेत्र उत्सव और नवजोबन उत्सव मनाया गया। प्राचीन कथा अनुसार स्नान पूर्णिमा पर अस्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा कमजोर हो गए हैं, इसलिए वे अपने मौसीमा के बुलावे पर उनके घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इसी यात्रा को रथ यात्रा कहा जाता है। मान्यता है कि एक सप्ताह तक मौसी मां का स्नेह और आतिथ्य स्वीकार कर उनके द्वारा परोसे गए छप्पन भोग ग्रहण करने से तीनो भाई बहन पूर्ण स्वस्थ हो उठते हैं और फिर पुनः वापस अपने मंदिर लौट आते हैं। पूरे रथयात्रा के पीछे यही कथा विधान है। दो दिन पहले नेत्र उत्सव के साथ ही भगवान जगन्नाथ मंदिर के पट एक बार फिर खुल गए और भक्तों ने उनका दर्शन किया। उत्सव के लिए मंदिर की विशेष सजावट की गई। मंदिर में नया ध्वज पुजारी गोविंद पाढ़ी ने लगाया श्री मंदिर में मंगलवार को सुबह से ही विशेष धार्मिक अनुष्ठान आरंभ हो गए। सुबह स्नान अभिषेक के पश्चात नवग्रह पूजन, हवन • आदि धार्मिक अनुष्ठान कर प्रसाद वितरण किया गया। दोपहर बाद छेरा पहरा की परंपरा का पालन करते हुए तीनों महाप्रभुओं को रथ पर सवार कराया गया। पहली बार विधायक शैलेश पांडे ने सपत्नीक किया छेरा पहरा विशिष्ट वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा रथ पर सवार हुए भगवान के आगे आगे उनके मार्ग को निष्कंटक करने की भावना के साथ विधायक शैलेश पांडे ने छेरा पहरा की परंपरा का पालन करते हुए मार्ग में झाड़ू लगाया, जिसके बाद प्रतिमाओं को रथ पर सवार कराया गया, जहां विधायक शैलेश पांडे, उनकी पत्नी ऋतु पांडे और अन्य गणमान्य अतिथियों ने उनकी पूजा अर्चना की। इस अवसर पर विधायक शैलेश पांडे ने इसे ऐतिहासिक परंपरा बताते हुए कहा कि उन्होंने भगवान जगन्नाथ से पूरे बिलासपुर वासियों के लिए सुख, समृद्धि, शांति, उनके अच्छे स्वास्थ्य व सफलता की मंगल कामना की है। श्री पांडे ने कहा कि एक सामान्य भक्तों की तरह वे हर वर्ष भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में सम्मिलित होते रहे हैं। भगवान जगन्नाथ महाप्रभु की ही कृपा है कि उन्हें इस वर्ष प्रथम बार छेरा पहरा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, इसके लिए उन्होंने आयोजन समिति, जनप्रतिनिधियों और क्षेत्र के नागरिकों के प्रति आभार जताया। विधायक शैलेश पांडे ने भी भगवान जगन्नाथ के रथ का रास्ता खींच कर पुण्य लाभ अर्जित किया। प्रचंड गर्मी के बीच निकली रथयात्रा सामान्यतः जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन बारिश होती है और आसमान पर बादल छाए रहते हैं, लेकिन इस वर्ष रथयात्रा पर आसमान से अंगारे बरसते रहे लेकिन प्रचंड गर्मी भी भक्तों के उत्साह को कम नहीं कर पाई। सुबह से ही मंदिर में सैकड़ों की संख्या में भक्त उपस्थित थे, रथयात्रा तक यह संख्या बढ़कर हजारों में तब्दील हो गई। जैसे ही पुजारी का संकेत मिलता, भक्त रथ का रास्ता खींचने लगते बिलासपुर में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए विशेष रथ तैयार किया गया है। इस रथ की लंबाई 16 फीट ऊंचाई 17 फीट और चौड़ाई 12 फीट है। पिछले कई दिनों से इसका रंग रोगन, स्वास्थ सजावट जारी था। मंगलवार को इसी रथ पर सवार होकर जब भगवान जगन्नाथ महाप्रभु, देवी सुभद्रा और बलदाऊ अपना दर्शन देने भक्तों के बीच पहुंचे तो भक्तों का उत्साह आसमान छूने लगा। तेज गर्मी के बाद भी भक्त जय जगन्नाथ का उद्घोष करते हुए रथ का रस्सा खींचते हुए एक बार में ही कई कई मीटर की दूरी तय कर जाते। यह रथ यात्रा श्री जगन्नाथ मंदिर से निकलकर तितली चौक, स्टेशन तार बाहर, गांधी चौक, दयालबंद, तोरवा थाना काली मंदिर होते हुए देर शाम ओडिया स्कूल पहुंची। यहां अस्थाई रूप से गुंडिचा मंदिर का निर्माण किया गया है। इससे पहले रास्ते में जगह-जगह रथ यात्रा का स्वागत किया गया। अलग अलग संगठन, समिति और दलों द्वारा पुष्प वर्षा कर रथ यात्रा का स्वागत किया गया। रास्ते में ही इस यात्रा के साथ भक्त जुड़ते भी चले गए। सभी रथ यात्रा के रथ की रस्सी खींच कर पुण्य लाभ अर्जन करते दिखे। अब गुंडिचा मंदिर में ही देंगे भगवान दर्शन श्री रथ यात्रा के अवसर पर भक्तों के बीच पारंपरिक प्रसाद कनिका का वितरण किया गया। भक्तों की बढ़ती संख्या को देखकर इस बार इसकी मात्रा 1 क्विंटल से बढ़ाकर 5 क्विंटल की गई थी। नगर भ्रमण कर देर शाम यह रथ यात्रा गुंडिचा मंदिर पहुंची, जहां आगामी पूरे एक सप्ताह तक विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होंगे मान्यता अनुसार यहां मौसी मां के हाथ के बने विशिष्ट पकवान खाकर तीनों भगवान पूर्ण रूप से स्वस्थ हो उठेंगे, जिसके बाद बहूडा यात्रा कर तीनों एक बार फिर उसी मार्ग से होते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर पहुंचेंगे, जहां रूठी हुई देवी लक्ष्मी को मनाने के बाद तीनों पुनः मंदिर प्रवेश करेंगे और फिर मंदिर में ही भक्तों को दर्शन लाभ देंगे। रथ यात्रा में निहित दिव्य संदेशों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। मंदिर में भक्त, भगवान के दर्शन करने जाते हैं, लेकिन जगन्नाथ महाप्रभु स्वयं इतने उदार है कि वे भक्तों के बीच पहुंचकर ना केवल उन्हें दर्शन देते हैं बल्कि उन्हें रथ को खींचने का भी सुअवसर देते हैं बीमार पड़ने और स्वस्थ होने की लीला रच कर भगवान स्वयं को मानवीय रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। सामान्य तौर पर भक्त भगवान के दर्शन करने उनके मंदिर जाते हैं लेकिन जगन्नाथ प्रभु इतने दयालु है कि वह अपना दर्शन देने उनके ही बीच रथ यात्रा के रूप में उपस्थित हो जाते हैं। भक्त और भगवान के बीच का यही अलौकिक प्रेम इस रथ यात्रा पर भी नजर आया। बिलासपुर में मंगलवार को और भी कई स्थानों पर रथ यात्रा निकाली गई। श्री जगन्नाथ मंदिर के इस रथयात्रा में हजारों की संख्या में भगवान जगन्नाथ के भक्त शामिल हुए, जिनमें कई विशिष्ट जन भी सम्मिलित थे। अब आगामी 28 जून को बहूडा यात्रा निकलेगी, उससे पहले भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर में ही अपने भक्तों को दर्शन लाभ देंगे।