बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में मंगलवार दोपहर से लापता 3 साल का नैतिक सिन्हा की 20 घंटे बाद बुधवार सुबह घटनास्थल से 3 किलोमीटर दूर भेड़ी नाले के पास उसका शव मिला है। बताया जा रहा है कि नैतिक आंगनबाड़ी के लिए निकला था। वहीं कलेक्टर ने मामले की जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी गठित की है। घटना डोंडीलोहारा के भेड़ी गांव का है।
भेड़ी नाला में मिली मासूम बच्चे की शव
थाना प्रभारी तुलसी जायसवाल ने बताया कि, आंगनबाड़ी में खेलते समय बच्चा नाले में बह गया था। सूचना मिलने पर पुलिस की टीम गांव पहुंची और खोजबीन शुरू कर दी थी। आज एसडीआरएफ की टीम के साथ संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन में बच्चे को खोज निकाला। जिस नाले में बच्चा मिला है। वो छोटे नाले से बड़े नाले में जाकर मिलता है। जिससे भेड़ी नाला कहा जाता है। रात में अंधेरा और बारिश होने के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में काफी दिक्कतें हुई।
कलेक्टर के निर्देश पर 4 सदस्यीय टीम का गठन
कलेक्टर के निर्देश पर अपर कलेक्टर ने चार सदस्यीय समिति के गठन का आदेश जारी किया है। आदेश में बताया गया कि डौण्डीलोहारा तहसीलदार द्वारा संज्ञान में लाया गया कि ग्राम भेड़ी के आंगनबाड़ी क्रमांक 01 में आए बच्चों में से एक नैतिक सिन्हा 23 जुलाई को दोपहर 1.30 बजे से लापता हो गए हैं। आंगनबाड़ी में आए बच्चों में से एक बच्चे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नैतिक सिन्हा आंगनबाड़ी के समीप में नाले में बह गया है। इसके बाद से पुलिस विभाग, नगर सेनानी विभाग व राजस्व विभाग की संयुक्त टीम नैतिक सिन्हा की खोज में जुटी है। नैतिक सिन्हा की इस तरह लापता हो जाने अथवा नाली में बह जाने के कारणों की जांच के लिए अनुविभागीय दण्डाधिकारी डौण्डीलोहारा की अध्यक्षता में जांच समिति गठित किया गया है, जिसमें सदस्य के तौर पर डौण्डीलोहारा अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस), बालोद जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, सचिव और ग्राम पंचायत भेड़ी को नियुक्त किया गया है। उक्त समिति जांच प्रतिवेदन तीन दिन के भीतर प्रस्तुत करेगी।
परिजनों ने आंगनबाड़ी स्टाफ की कार्यकर्ता और सहायिका पर लगाया आरोप
परिजनों ने आंगनबाड़ी स्टाफ की कार्यकर्ता और सहायिका पर लापरवाही का आरोप लगाया है। अभी तक प्रशासन की तरफ से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के ऊपर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को लेकर लोगों में नाराजगी है, क्योंकि आंगनबाड़ी जाने के बाद बच्चों की पूरी जवाबदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की होती है।