Thursday, November 21, 2024
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Exclusive: ATR में दिखा ये विलुप्त वन्य जीव… कैमरे में बाघों के साथ हुआ ट्रैप… देखकर लोग रहे हैरान….

बिलासपुर। अंतरराष्ट्रीय टाइगर डे पर अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने खुशखबरी दी है। क्योंकि ATR में ब्लैक पैंथर होने की पुष्टि हुई है। इसके अलावा टाइगर का भी कुनबा बढ़कर अब 10 हो गए हैं।

बता दें कि अप्रैल 2024 में हुए फोर्थ फेस टाइगर सर्वे में अचानकमार टाइगर रिजर्व में 3 मेल और 7 फीमेल टाइगर हैं। वहीं एटीआर में टाइगर सेंसस 2022 में बाघों की संख्या केवल 5 आंकी गई थी। इसके अलावा उक्त ग्रीष्मकालीन सर्वे के दौरान एटीआर में विलुप्त प्रजाति का मेलानिस्टिक लेपर्ड ( ब्लैक पैंथर ) का होने का भी पुष्टि हुई है। यह एटीआर प्रबंधन द्वारा निरंतर बाघों की संख्या वृद्धि की दिशा में किए गए कार्यों और योजनाओं का परिणाम है, जिसके कारण बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इससे न केवल जंगल की उत्पादकता बढ़ेगी, साथ ही इकोटूरिसम में वृद्धि होगी और अन्य देशों से आए सैलानियों व वन्यजीव प्रेमियो की संख्या बढ़ेगी।

स्थानीय जनसमुदाय को मिलेगा रोजगार

ATR में वन्य जीवों की संख्या बढ़ने से स्थानीय जनसमुदाय को अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। वहीं वन्यजीव प्रेमियों, वानिकी के विद्यार्थियों और रिसर्च स्कॉलर्स के लिए एक बेहतर विकल्प राज्य में ही उपलब्ध हो पाएगा।

जीपीएस बेस्ड एम-स्ट्राइप मोबाइल एप द्वारा प्रतिदिन 10 km की जाती है पेट्रोलिंग

ATR के डिप्टी डायरेक्टर यू आर गणेश ने बताया कि इसके पीछे एटीआर प्रबंधन की कड़ी मेहनत और स्ट्रेटजी है। जिसमे एक ओर जहाँ रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्र के 108 बीटों में नियुक्त पैदल गार्ड और परिसर रक्षकों द्वारा जीपीएस बेस्ड एम-स्ट्राइप मोबाइल एप द्वारा प्रतिदिन 10 km की पेट्रोलिंग की जाती है। वहीं कैमरा ट्रैप दैनिक चेकिंग कर बाघों सहित अन्य जानवरों की सटीक निगरानी सुनिश्चित होती है।

STPF की टीम की गई गठित

बाघों की विशेष निगरानी के लिए यहां STPF की टीम भी गठित है, जिनका मुख्य कार्य केवल बाघों की ट्रैकिंग करना है। इनके द्वारा हर विपरीत परिस्थिति और मौसम में भी लगातार गश्त कर बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। इन सभी प्रकार की व्यवस्थाओं टेक्निकल मॉनिटरिंग के लिए कोटा में जीआईएस सेल भी स्थापित है। जहां प्रत्येक सप्ताह और माह में प्राप्त सभी डाटा का एनालिसिस कर रिपोर्ट सीधे डिप्टी डायरेक्टर और फील्ड डायरेक्टर को दी जाती है। क्योंकि एटीआर नेटवर्क विहीन क्षेत्र है। इस वजह से यहां वायरलेस तकनीकी की मदद से सभी प्रकार के निर्देशों और सूचनाओं का सुलभ प्रसार सुनिश्चित किया जाता है।

वन्यजीव प्रजाति की संख्या अचानक से नहीं होती है वृद्धि

किसी भी वन्यजीव प्रजाति की संख्या वृद्धि अचानक से नहीं होती है। बल्कि इसके लिए समयबद्ध योजनाएं, टेक्निकल रणनीति और सतत मैनुअल और टेक्निकल मॉनिटरिंग आवश्यक होता है, जिसमें काफी समय लगता है। वहीं मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक सुधीर कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में रहवास विकास कार्य जैसे चारागाह विकास, ग्रीष्मकाल में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना, समय सीमा में मुआवजा प्रकरण तैयार कर किया जाता है।

निवासरत जनसमुदाय करते हैं प्रकृति का संरक्षण

बाघों की सुरक्षा और संरक्षण में एटीआर प्रबंधन के अतिरिक्त सबसे बड़ी भूमिका यहां निवासरत जनसमुदाय का है। जिनके प्रत्यक्ष भागीदारी और प्रकृति संरक्षण के प्रयासों के कारण ही आज वन्यजीव यहाँ सुरक्षित हैं। वन्यजीवों और वनों की सुरक्षा के लिए 31 वन प्रबंधन समिति गठित है, जिनके प्रत्यक्ष सहयोग के कारण ही अग्नि सुरक्षा, अतिक्रमण, अवैध कटाई और शिकार पर समग्र नियंत्रण स्थापित हो पाता है।

ड्राइवर और गाइड के रूप में स्थानीय युवकों और महिलाओं को आजीविका प्रदान कर रहे

एटीआर प्रबंधन द्वारा इको पर्यटन में ड्राइवर और गाइड के रूप में स्थानीय युवकों और महिलाओं को आजीविका प्रदान कर रहे हैं। साथ ही भिलाई , बैंगलोर शहरों में आयोजित प्रशिक्षण से युवकों को रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा हैं, ज़ो वन्यप्रानी सुरक्षा एवं पार्क प्रबंधन में जनभागीरदारी एवं सहयोग सुनिश्चित करता हैं। सिविल सोसाइटी भी एटीआर में सर्वे मॉनिटरिंग के लिए अपना सहयोग दे रहा हैं। फ़ेस 4 मॉनिटरिंग हेतु हुए MOU के आधार पर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ATR से जुड़े हैं। नेचर एंड बायोडायवर्सिटी एसोसिएशन, ICICI फ़ाउण्डेशन, TDU बैंगलोर, बिलासपुर के वरिष्ठ नागरिक व पत्रकार भी ATR से जुड़कर विभिन्न कार्य में अपना सहयोग एवं भूमिका निभा रहा हैं। न एटीआर के फील्ड डायरेक्टर के अनुसार टाइगर भविष्य में मॉनिटरिंग एवं प्रबंधन का सुधृढ़ीकरण हेतु नया TCP निर्माण, कॉरिडोर प्लान सहित नया कार्य योजना का निर्माण प्रगतिरत हैं।

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बिलासपुर। अंतरराष्ट्रीय टाइगर डे पर अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने खुशखबरी दी है। क्योंकि ATR में ब्लैक पैंथर होने की पुष्टि हुई है। इसके अलावा टाइगर का भी कुनबा बढ़कर अब 10 हो गए हैं। बता दें कि अप्रैल 2024 में हुए फोर्थ फेस टाइगर सर्वे में अचानकमार टाइगर रिजर्व में 3 मेल और 7 फीमेल टाइगर हैं। वहीं एटीआर में टाइगर सेंसस 2022 में बाघों की संख्या केवल 5 आंकी गई थी। इसके अलावा उक्त ग्रीष्मकालीन सर्वे के दौरान एटीआर में विलुप्त प्रजाति का मेलानिस्टिक लेपर्ड ( ब्लैक पैंथर ) का होने का भी पुष्टि हुई है। यह एटीआर प्रबंधन द्वारा निरंतर बाघों की संख्या वृद्धि की दिशा में किए गए कार्यों और योजनाओं का परिणाम है, जिसके कारण बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इससे न केवल जंगल की उत्पादकता बढ़ेगी, साथ ही इकोटूरिसम में वृद्धि होगी और अन्य देशों से आए सैलानियों व वन्यजीव प्रेमियो की संख्या बढ़ेगी। स्थानीय जनसमुदाय को मिलेगा रोजगार ATR में वन्य जीवों की संख्या बढ़ने से स्थानीय जनसमुदाय को अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। वहीं वन्यजीव प्रेमियों, वानिकी के विद्यार्थियों और रिसर्च स्कॉलर्स के लिए एक बेहतर विकल्प राज्य में ही उपलब्ध हो पाएगा। जीपीएस बेस्ड एम-स्ट्राइप मोबाइल एप द्वारा प्रतिदिन 10 km की जाती है पेट्रोलिंग ATR के डिप्टी डायरेक्टर यू आर गणेश ने बताया कि इसके पीछे एटीआर प्रबंधन की कड़ी मेहनत और स्ट्रेटजी है। जिसमे एक ओर जहाँ रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्र के 108 बीटों में नियुक्त पैदल गार्ड और परिसर रक्षकों द्वारा जीपीएस बेस्ड एम-स्ट्राइप मोबाइल एप द्वारा प्रतिदिन 10 km की पेट्रोलिंग की जाती है। वहीं कैमरा ट्रैप दैनिक चेकिंग कर बाघों सहित अन्य जानवरों की सटीक निगरानी सुनिश्चित होती है। STPF की टीम की गई गठित बाघों की विशेष निगरानी के लिए यहां STPF की टीम भी गठित है, जिनका मुख्य कार्य केवल बाघों की ट्रैकिंग करना है। इनके द्वारा हर विपरीत परिस्थिति और मौसम में भी लगातार गश्त कर बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। इन सभी प्रकार की व्यवस्थाओं टेक्निकल मॉनिटरिंग के लिए कोटा में जीआईएस सेल भी स्थापित है। जहां प्रत्येक सप्ताह और माह में प्राप्त सभी डाटा का एनालिसिस कर रिपोर्ट सीधे डिप्टी डायरेक्टर और फील्ड डायरेक्टर को दी जाती है। क्योंकि एटीआर नेटवर्क विहीन क्षेत्र है। इस वजह से यहां वायरलेस तकनीकी की मदद से सभी प्रकार के निर्देशों और सूचनाओं का सुलभ प्रसार सुनिश्चित किया जाता है। वन्यजीव प्रजाति की संख्या अचानक से नहीं होती है वृद्धि किसी भी वन्यजीव प्रजाति की संख्या वृद्धि अचानक से नहीं होती है। बल्कि इसके लिए समयबद्ध योजनाएं, टेक्निकल रणनीति और सतत मैनुअल और टेक्निकल मॉनिटरिंग आवश्यक होता है, जिसमें काफी समय लगता है। वहीं मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक सुधीर कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में रहवास विकास कार्य जैसे चारागाह विकास, ग्रीष्मकाल में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना, समय सीमा में मुआवजा प्रकरण तैयार कर किया जाता है। निवासरत जनसमुदाय करते हैं प्रकृति का संरक्षण बाघों की सुरक्षा और संरक्षण में एटीआर प्रबंधन के अतिरिक्त सबसे बड़ी भूमिका यहां निवासरत जनसमुदाय का है। जिनके प्रत्यक्ष भागीदारी और प्रकृति संरक्षण के प्रयासों के कारण ही आज वन्यजीव यहाँ सुरक्षित हैं। वन्यजीवों और वनों की सुरक्षा के लिए 31 वन प्रबंधन समिति गठित है, जिनके प्रत्यक्ष सहयोग के कारण ही अग्नि सुरक्षा, अतिक्रमण, अवैध कटाई और शिकार पर समग्र नियंत्रण स्थापित हो पाता है। ड्राइवर और गाइड के रूप में स्थानीय युवकों और महिलाओं को आजीविका प्रदान कर रहे एटीआर प्रबंधन द्वारा इको पर्यटन में ड्राइवर और गाइड के रूप में स्थानीय युवकों और महिलाओं को आजीविका प्रदान कर रहे हैं। साथ ही भिलाई , बैंगलोर शहरों में आयोजित प्रशिक्षण से युवकों को रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा हैं, ज़ो वन्यप्रानी सुरक्षा एवं पार्क प्रबंधन में जनभागीरदारी एवं सहयोग सुनिश्चित करता हैं। सिविल सोसाइटी भी एटीआर में सर्वे मॉनिटरिंग के लिए अपना सहयोग दे रहा हैं। फ़ेस 4 मॉनिटरिंग हेतु हुए MOU के आधार पर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ATR से जुड़े हैं। नेचर एंड बायोडायवर्सिटी एसोसिएशन, ICICI फ़ाउण्डेशन, TDU बैंगलोर, बिलासपुर के वरिष्ठ नागरिक व पत्रकार भी ATR से जुड़कर विभिन्न कार्य में अपना सहयोग एवं भूमिका निभा रहा हैं। न एटीआर के फील्ड डायरेक्टर के अनुसार टाइगर भविष्य में मॉनिटरिंग एवं प्रबंधन का सुधृढ़ीकरण हेतु नया TCP निर्माण, कॉरिडोर प्लान सहित नया कार्य योजना का निर्माण प्रगतिरत हैं।