Friday, November 15, 2024
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VIDEO: खड़े- खड़े एक शख्स की चली गई जान… सिम्स के एमआरडी हॉल में 50 रुपए की रसीद के लिए लगा था लाइन…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म में जिस तरह इलाज से पहले सरकारी अस्पताल में फार्म भरवाना जाता है, चाहे मरीज मर ही क्यों न जाए, ठीक उसी तरह की हरकतें सिम्स के डॉक्टर और प्रबंधन भी कर रहे हैं। शुक्रवार को एक मरीज की उपचार और जांच से पहले उसे बार-बार पर्ची कटवाने भेजा गया। 54 मिनट तक मरीज पर्ची कटवाने यहां-वहां भटकता रहा। अंतत: एमआरडी हॉल के पर्ची काउंटर में लाइन में लगे-लगे अचानक गिर गया और उसकी मौत हो गई।

मिली जानकारी अनुसार, निवासी तालापारा मोहम्मद शमशाद हुसैन (53 वर्ष) को बेचैनी के साथ सीने में जलन हो रही थी। अपने बेटे के साथ सुबह 8:21 बजे वे सिम्स के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे। यहां बैठे डॉक्टरों ने जांच करने की बजाय उन्हें ओपीडी पर्ची बनवाने एमआरडी हॉल भेज दिया। लाइन में लगकर 10 रुपए की पर्ची कटाई। वापस इमरजेंसी पहुंचे तो दूसरी मंजिल में मेडिसिन ओपीडी के डॉक्टर के पास भेज दिया। डॉक्टर ने यहां पूछताछ की और ईसीजी कराने की बात कहते हुए 50 रुपए की पर्ची बनवाने दोबारा एमआरडी हॉल भेज दिया। शमशाद हुसैन 9:14 बजे एमआरडी हॉल पहुंचे, पर्ची बनवाने फिर से लाइन में लगे। 9:16 बजे सीने में जलन हुई और वह गिर गए। बाजू में बैठे उनके बेटे ने उनकी जगह में लाइन लगाई। देखते-देखते वह बदहवास होने लगे और 9:19 बजे उन्होंने एमआरडी हॉल ही में दम तोड़ दिया।

डॉक्टर ने बताया हार्ट अटैक हुई मौत 

डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे तो हार्ट अटैक बताया एमआरडी हॉल में शमशाद जमीन पर लेटे हुए एमआरडी प्रभारी शैलेंद्र रावत ने देखा तो उन्होंने वहां मौजूद गार्ड लक्ष्मी दूबे को आवाज लगाई। लक्ष्मी ने तुरंत एक व्हीलचेयर लाया। लाइन में खड़े अन्य लोगों ने शमशाद को उठाकर व्हीलचेयर में रखा। डॉक्टर के पास पहुंचे तो उनके शरीर में ईसीजी करने वाले उपकरण लगा दिए। चंद मिनट बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित करते हुए मौत का कारण हार्ट अटैक बताया।

परिजनों ने इलाज में लापरवाही कहकर किया विरोध 

परिजनों ने रोते हुए बताया कि वे घर से हंसते हुए ये कहकर ऑटो चलाते हुए निकले थे कि सीने में हल्की जलन हो रही है। डॉक्टर को दिखाकर घंटे भर में आता हूं। उनके साथ बेटा भी गया था। उसके बेटे ने बताया कि अब्बू ने इमरजेंसी में बैठे डॉक्टर से पहले सीने में जलन की बात कही। बीपी और पल्स जांच करने के बजाय बिना देखे हमें सीधा 10 रुपए की पर्ची कटवाने भेज दिया। ओपीडी के डॉक्टर ने भी कह दिया कि ईसीजी रिपोर्ट आएगी तो दवा लिख दूंगा। जांच से पहले 50 रुपए वाली पर्ची कटवाने आए थे। लेकिन अब्बू इसी दौरान लाइन में लगे-लगे ही गिर गए और हमें छोड़ गए।

डॉक्टर से मिलने के लिए, सीने के दर्द के बीच 36 सीढ़ी चढ़े-उतरें

सिम्स अस्पताल प्रबंधन ने इन दिनों इमरजेंसी के पास से एमआरडी हॉल में जाने वाले रास्ते पर ताला लगा दिया है। इसी ताले लगे गेट के पीछे ही लिफ्ट भी छिप गई है। ऐसे में शमशाद हुसैन जब इमरजेंसी पहुंचे तो वहां से घूमकर एमआरडी जाना पड़ा। पर्ची कटाकर दूसरी मंजिल में डॉक्टर तक पहुंचने के लिए 36 स्टेप वाली सीढ़ी चढ़नी पड़ी। डॉक्टर से जांच कराकर 50 रुपए की पर्ची बनवाने के बाद फिर से 36 स्टेप वाली सीढ़ी उतरनी पड़ी। ऐसे में उनके सीने का दर्द और बढ़ गया। जिसके कारण उन्हें अटैक आया और उनकी मौत हो गई।

 इलाज के लिए भटकना पड़ता है इधर से उधर 

सिम्स के इमरजेंसी वार्ड में जहां सबसे पहले मरीज पहुंचते हैं, चाहे वह गंभीर हो या सामान्य, लेकिन यहां अस्पताल प्रबंधन ने सीनियर के बजाय नए-नवेले इंटर्न और ट्रेनी डॉक्टर को बैठा रखा है। वार्ड नर्स और अलग-अलग नर्सिंग कॉलेज से सीखने आई छात्राओं पर भरोसा रहता है। जो मरीजों को ठीक से जानकारी तक नहीं दे पाते हैं। ऐसे में मरीजों को उपचार कराने के लिए सिम्स में यहां-वहां भटकना पड़ता है।

मामले की जांच की जा रही

डॉ. एआर बेन, पीआरओ ने बताया कि हॉस्पिटल आने वाले प्रत्येक मरीज को पर्ची बनवाना पड़ता है। चाहे वह गंभीर हो या सामान्य। एमआरडी हॉल में लाइन लगे हुए मरीज की मौत की घटना के बारे में ड्यूटीरत डॉक्टर और कर्मचारी से पूछताछ कर मामले की जांच की जा रही है।

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म में जिस तरह इलाज से पहले सरकारी अस्पताल में फार्म भरवाना जाता है, चाहे मरीज मर ही क्यों न जाए, ठीक उसी तरह की हरकतें सिम्स के डॉक्टर और प्रबंधन भी कर रहे हैं। शुक्रवार को एक मरीज की उपचार और जांच से पहले उसे बार-बार पर्ची कटवाने भेजा गया। 54 मिनट तक मरीज पर्ची कटवाने यहां-वहां भटकता रहा। अंतत: एमआरडी हॉल के पर्ची काउंटर में लाइन में लगे-लगे अचानक गिर गया और उसकी मौत हो गई। मिली जानकारी अनुसार, निवासी तालापारा मोहम्मद शमशाद हुसैन (53 वर्ष) को बेचैनी के साथ सीने में जलन हो रही थी। अपने बेटे के साथ सुबह 8:21 बजे वे सिम्स के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे। यहां बैठे डॉक्टरों ने जांच करने की बजाय उन्हें ओपीडी पर्ची बनवाने एमआरडी हॉल भेज दिया। लाइन में लगकर 10 रुपए की पर्ची कटाई। वापस इमरजेंसी पहुंचे तो दूसरी मंजिल में मेडिसिन ओपीडी के डॉक्टर के पास भेज दिया। डॉक्टर ने यहां पूछताछ की और ईसीजी कराने की बात कहते हुए 50 रुपए की पर्ची बनवाने दोबारा एमआरडी हॉल भेज दिया। शमशाद हुसैन 9:14 बजे एमआरडी हॉल पहुंचे, पर्ची बनवाने फिर से लाइन में लगे। 9:16 बजे सीने में जलन हुई और वह गिर गए। बाजू में बैठे उनके बेटे ने उनकी जगह में लाइन लगाई। देखते-देखते वह बदहवास होने लगे और 9:19 बजे उन्होंने एमआरडी हॉल ही में दम तोड़ दिया। डॉक्टर ने बताया हार्ट अटैक हुई मौत  डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे तो हार्ट अटैक बताया एमआरडी हॉल में शमशाद जमीन पर लेटे हुए एमआरडी प्रभारी शैलेंद्र रावत ने देखा तो उन्होंने वहां मौजूद गार्ड लक्ष्मी दूबे को आवाज लगाई। लक्ष्मी ने तुरंत एक व्हीलचेयर लाया। लाइन में खड़े अन्य लोगों ने शमशाद को उठाकर व्हीलचेयर में रखा। डॉक्टर के पास पहुंचे तो उनके शरीर में ईसीजी करने वाले उपकरण लगा दिए। चंद मिनट बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित करते हुए मौत का कारण हार्ट अटैक बताया। परिजनों ने इलाज में लापरवाही कहकर किया विरोध  परिजनों ने रोते हुए बताया कि वे घर से हंसते हुए ये कहकर ऑटो चलाते हुए निकले थे कि सीने में हल्की जलन हो रही है। डॉक्टर को दिखाकर घंटे भर में आता हूं। उनके साथ बेटा भी गया था। उसके बेटे ने बताया कि अब्बू ने इमरजेंसी में बैठे डॉक्टर से पहले सीने में जलन की बात कही। बीपी और पल्स जांच करने के बजाय बिना देखे हमें सीधा 10 रुपए की पर्ची कटवाने भेज दिया। ओपीडी के डॉक्टर ने भी कह दिया कि ईसीजी रिपोर्ट आएगी तो दवा लिख दूंगा। जांच से पहले 50 रुपए वाली पर्ची कटवाने आए थे। लेकिन अब्बू इसी दौरान लाइन में लगे-लगे ही गिर गए और हमें छोड़ गए। डॉक्टर से मिलने के लिए, सीने के दर्द के बीच 36 सीढ़ी चढ़े-उतरें सिम्स अस्पताल प्रबंधन ने इन दिनों इमरजेंसी के पास से एमआरडी हॉल में जाने वाले रास्ते पर ताला लगा दिया है। इसी ताले लगे गेट के पीछे ही लिफ्ट भी छिप गई है। ऐसे में शमशाद हुसैन जब इमरजेंसी पहुंचे तो वहां से घूमकर एमआरडी जाना पड़ा। पर्ची कटाकर दूसरी मंजिल में डॉक्टर तक पहुंचने के लिए 36 स्टेप वाली सीढ़ी चढ़नी पड़ी। डॉक्टर से जांच कराकर 50 रुपए की पर्ची बनवाने के बाद फिर से 36 स्टेप वाली सीढ़ी उतरनी पड़ी। ऐसे में उनके सीने का दर्द और बढ़ गया। जिसके कारण उन्हें अटैक आया और उनकी मौत हो गई।  इलाज के लिए भटकना पड़ता है इधर से उधर  सिम्स के इमरजेंसी वार्ड में जहां सबसे पहले मरीज पहुंचते हैं, चाहे वह गंभीर हो या सामान्य, लेकिन यहां अस्पताल प्रबंधन ने सीनियर के बजाय नए-नवेले इंटर्न और ट्रेनी डॉक्टर को बैठा रखा है। वार्ड नर्स और अलग-अलग नर्सिंग कॉलेज से सीखने आई छात्राओं पर भरोसा रहता है। जो मरीजों को ठीक से जानकारी तक नहीं दे पाते हैं। ऐसे में मरीजों को उपचार कराने के लिए सिम्स में यहां-वहां भटकना पड़ता है। मामले की जांच की जा रही डॉ. एआर बेन, पीआरओ ने बताया कि हॉस्पिटल आने वाले प्रत्येक मरीज को पर्ची बनवाना पड़ता है। चाहे वह गंभीर हो या सामान्य। एमआरडी हॉल में लाइन लगे हुए मरीज की मौत की घटना के बारे में ड्यूटीरत डॉक्टर और कर्मचारी से पूछताछ कर मामले की जांच की जा रही है।